म्यांमार के जुंटा शासन के सामने अब करो मरो की स्थिति, सबसे मजबूत गढ़ की ओर बढ़े विद्रोही
Curated byरिजवान | नवभारतटाइम्स.कॉम | 1 Apr 2024, 5:43 pm
म्यामांर में विद्रोही गुटों और जुंटा सेना के बीच चल रही लड़ाई बेहद अहम मोड़ पर पहुंच गई है। विद्रोही बलों ने बीते कुछ समय में कई अहम शहरों पर कब्जा किया लेकिन अब वह जुंटा के मजबूत गढ़ की तरफ बढ़ रहा है। जुंटा के सामने अब अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई है।
हाइलाइट्स
- लगातार हार का सामना कर रही है जुंटा सेना
- सैनिकों की कमी का भी सामना कर रहा जुंटा
- जुंटा के हाथ से जा सकता है आखिरी मोर्चा
नेपीडॉ: म्यांमार के जुंटा कहे जाने वाले सैन्य शासक लगातार विद्रोहा गुटों के भीषण प्रतिरोध का सामना कर रहे हैं। विद्रोही गुटों का एलायंस जुंटा के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व कर रहा है। विद्रोही गुटों के हाथों जुंटा ने कई शहरों और महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों से नियंत्रण खो दिया है। पहले से जंग से जूझ रहे म्यांमार में 2024 और 2025 में संघर्ष की व्यापक और गंभीर रूप से गंभीर रूपरेखा आकार लेती दिख रही है। हाल के महीनों में राज्य प्रशासन परिषद (एसएसी) सैन्य बल को मिली व्यापक हार के बीच देश की सीमा का बड़ा हिस्सा शक्तिशाली विद्रोही गुटों की सेनाओं के नियंत्रण में आ गया है।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले बरसात के मौसम और उसके बाद युद्ध बामर गढ़ में बड़ी तीव्रता पर लड़ा जाएगा। सबसे खराब स्थिति में हत्या और जनसंख्या विस्थापन की लहर शामिल हो सकती है, जो 1970 के दशक के इंडोचीन युद्धों के बाद दक्षिण पूर्व एशिया में नहीं देखी गई थी। हाल ही में युद्ध के मैदान में सेना की हार का पैमाना और मनोबल पर इसका प्रभाव ये आधार प्रदान करता है कि युद्ध का आने वाला चरण कमजोर एसएसी शासन को पतन की ओर धकेल देगा या सेना की एकजुटता को तोड़ देगा।
विद्रोही गुटों ने लॉन्च किया है ऑपरेशन 1027
तीन विद्रोही गुटों के ऑपरेशन 1027 लॉन्च किए जाने के बाद जुंटा के हाथ से चीजें निकलती चली गई हैं। एलायंस की सबसे बड़ी सेना, अराकान आर्मी (एए) ने उत्तर के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लिया था अभी भी एसएसी बलों का प्रमुख शहरी केंद्रों पर कब्जा जारी है, विशेष रूप से लशियो, रखाइन में सिटवे और काचिन में विद्रोहियों ने जुंटा सेना की जनशक्ति, युद्ध सामग्री और मनोबल को ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व झटका दिया।
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जुंटा सेना की स्थिति को इस बात से समझा जा सकता है कि कमांड स्तर पर उसका आत्मविश्वास हिला हुआ है। जुंटा पूर्व सैनिकों को फिर से भर्ती करने की योजना बना रही है। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि मौजूदा स्थिति शासन की हार के साथ समाप्त हो सकती है। मुख्य मुद्दा यह है कि इस प्रक्रिया में कितना समय लग सकता है। ऐसी उम्मीदें कि सीमावर्ती इलाकों में हालिया प्रगति ने एक “टिपिंग प्वाइंट” पैदा कर दिया है, जो एक राष्ट्रव्यापी रणनीतिक हमले में तब्दील हो सकता है।