Bihar Politics : बिहार में नीतीश कुमार के दिए झटके के बाद दिल्ली में कांग्रेस ने एक बड़ी बैठक बुलाई। इसमें बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह के अलावा कई और नेता भी शामिल हुए। वहीं चिराग पासवान के विरोधी खेमे पशुपति पारस गुट ने अपना अगला दांव खेल दिया है।
हाइलाइट्स
- नीतीश कुमार के झटके के बाद दिल्ली में कांग्रेस की बैठक
- भतीजे चिराग के खिलाफ चाचा पारस ने खेल दिया नया दांव
- अब बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर चरम पर सियासत
नीतीश के झटके के बाद कांग्रेस की बैठक
सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान नेताओं ने बिहार के नवीनतम राजनीतिक घटनाक्रम की समीक्षा की और कुमार के अब विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में नहीं होने के मद्देनजर भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा की। नीतीश कुमार करीब 18 महीने पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों के ‘महागठबंधन’ के साथ सरकार बनाई थी। इसके बाद कांग्रेस को बिहार में राजद के साथ ही करारा झटका भी लगा।
उधर पशुपति पारस ने भी पार्टी में बदले नेताओं के रोल
केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) ने चिराग पासवान से हाथ मिला चुकीं वीणा देवी के स्थान पर पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को संसदीय बोर्ड का प्रमुख बनाया है। रालोजपा ने एक बयान में तीन अन्य सांसदों, सिंह के भाई चंदन, महबूबा अली कैसर और पारस के भतीजे प्रिंस राज का समर्थन का दावा किया है, जो बोर्ड के सदस्य बने हुए हैं। पारस के भतीजे चिराग पासवान की अध्यक्षता वाली आरएलजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में आमने-सामने हैं। पारस को रामविलास द्वारा स्थापित पार्टी के छह में से पांच सांसदों का समर्थन मिला हुआ है, जबकि चिराग पासवान अपने पिता राम विलास पासवान की विरासत को आगे ले जाने के प्रयास कर रहे हैं। अपने गुट के एकमात्र सांसद चिराग पासवान का मानना है कि उनके पिता के मुख्य समर्थक उनके साथ हैं। दोनों गुट भाजपा के सहयोगी हैं।
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